Home
1. प्रस्तावना
2. कार्य विधि
3. दायित्व
4. प्रशिक्षण कार्यक्रम
5. प्रचार-प्रसार कार्य योजना
6. सर्वे तथा ग्राम सभाओं का आयोजन
7. अनुसूचियों को भरने के लिए दिशा निर्देश
8. निर्देश
1. प्रस्तावना ( Top )
• भारत सरकार एवं राज्य सरकार द्वारा ग्रामीण क्षेत्र में गरीबी उन्मूलन हेतु क्रियान्वित की जा रही विभिन्न योजनाओं के लिए जो लक्षित समूह रखे जाते हैं, प्रायः वे गरीबी रेखा से नीचे जीवनयापन करने वाले परिवार होते हैं।
• 10 वीं पंचवर्षीय योजना काल अर्थात्‌ 2002-2007 की अवधि के लिए ग्रामीण क्षेत्रों में रहने वाले सभी परिवारों का सर्वे किये जाने का कार्यक्रम सम्पादित किया जा रहा है, जिसे ‘‘बीपीएल सेन्सस, 2002’’ का नाम दिया गया है। इसके द्वारा ग्रामीण क्षेत्र में रह रहे गरीबी की रेखा से नीचे जीवनयापन करने वाले परिवारों का अभिज्ञान कर चयन करने की कार्यवाही सम्पादित की जायेगी।
• गत चयन सर्वे में जो प्रमुख कमियां रह गयी थी, उनके बारे में इस बार विशेष ध्यान दिये जाने की आवश्यकता है, जिससे कि उनकी पुनरावृत्ति नहीं हो। बी.पी.एल. सेन्सस, 2002 में इस बात का विशेष ध्यान रखा जावे कि कोई भी पात्र परिवार चयन होने से छूटे नहीं एवं अपात्र परिवार का चयन न हो सके।
• इस मार्गदर्शिका की प्रतियां जिला ग्रामीण विकास अभिकरण द्वारा जिले के सांसद, विधायक, जिला प्रमुख, प्रधान, जिला परिषद व पंचायत समिति के सदस्य, सरपंच तथा ‘‘बी.पी.एल. सेन्सस, 2002’’ गणना में संलग्न सभी अधिकारियों (बैंक सहित) को उपलब्ध करायी जानी है।

2. कार्य विधि ( Top )
• बी.पी.एल. सेन्सस, 2002 के दौरान शतप्रतिशत ग्रामीण परिवारों का उनके घर-घर जाकर सर्वे का कार्य सम्पादित किया जावेगा। विभिन्न गरीबी उन्मूलन कार्यक्रमों के तहत गरीबी की रेखा से नीचे जीवन-यापन करने वाले परिवारों को लक्षित करने हेतु उनका सही चिन्हीकरण आवश्यक है।
• बी.पी.एल. सेन्सस, 2002 में प्रत्येक परिवार को आर्थिक एवं सामाजिक रूप से जीवन-यापन करने हेतु उनके पास उपलब्ध संसाधनों को दृष्टिगत रखते हुए उनका चिन्हीकरण ‘‘अंक आधारित श्रेणी’’ (Score Based Ranking) प्रक्रिया अपनाते हुए किया जावेगा। गत बार की तरह आय अथवा व्यय के आधार पर किसी परिवार का चयन बी.पी.एल. सूची में नहीं किया जायेगा। • बी.पी.एल. सेन्सस, 2002 के लिए दो प्रकार की अनूसूचियों में प्रत्येक परिवार की सूचना एकत्र की जावेगी जिनमें से अनुसूची ‘‘अ’’ के लिए कोई भी अंक निर्धारित नहीं किये गये हैं अर्थात्‌ Non-Scorable indicators हैं तथा इस अनुसूची में सिर्फ सम्बन्धित परिवार के बारे में विवरण (Profile of Household) तैयार किया जावेगा।
• अनुसूची ‘‘ब’’ में 13 सूचक निर्धारित किये गये हैं, ये सभी सूचक अंक आधारित होंगे, जिनके अंक 0,1,2,3,4 प्रत्येक परिवार के लिए निर्धारित किये गये है। प्रत्येक परिवार के सम्बन्ध में प्राप्त सूचना के अनुसार कुल अंको की गणना की जावेगी। प्रत्येक परिवार के लिए अंको की गणना पृथक-पृथक की जावेगी। प्राप्त अंको के आधार पर प्रत्येक परिवार की गाँववार सूची आरोही क्रम में तैयार की जावेगी।
• बी.पी.एल. सर्वे, 2002 के दौरान प्रत्येक परिवार वार प्राप्त अंको की सभी सूचियॉं गाँव के प्रमुख स्थान/पंचायत के पंचायत भवन पर प्रदर्शित की जावेगी ताकि इस कार्य में पारदर्शिता रहे तथा गलतियों में कमी आवे। अगर दो या दो से अधिक परिवारों के अंक समान हो तो ऐसे प्रकरणों के क्रम का निर्धारण ग्राम सभा में सहमति के आधार पर किया जावे। गाँंव के प्रत्येक परिवार की तैयार सूची को ग्रामसभा द्वारा अनुमोदन कराया जाकर गाँव के प्रमुख स्थान/पंचायत भवन पर प्रदर्शित किया जावे।
• राज्य सरकार द्वारा ग्राम सभा में अनुमोदन उपरान्त एक बार बी.पी.एल. सूची को अनुमोदित करने के बाद उसमें किसी प्रकार परिवर्तन नहीं किया जा सकेगा। आगामी बीपीएल सेन्सस में रिजल्ट की उपलब्धता तक अन्तिम बी.पी.एल. सूची में कोई भी नाम नहीं जोड़ा जा सकेगा। ऐसे परिवार जो किसी कारणवश निर्धारित अंको की सीमा से ऊपर आ जायेंगे, उनका नाम ही बी.पी.एल. सूची से हटाया जा सकेगा। इस प्रकार से सूची के नाम हटाने के कार्य की समीक्षा ग्राम सभाओं द्वारा वर्ष में एक बार ही की जा सकेगी।
• बी.पी.एल. सेन्सस, 2002 के माध्यम से ग्रामीण क्षेत्रों में रहने वाले समस्त परिवारों की जानकारी प्राप्त हो सकेगी। इस सर्वे के माध्यम से क्षेत्र विशेष एवं व्यक्ति विशेष के संदर्भ में विस्तृत जानकारी प्राप्त हो सकेगी, जिसके आधार पर योजना/कार्यक्रम बनाने में मदद मिलेगी। अतः इस सर्वे में प्राप्त सूचनाओं का विश्लेषण बहुत ही सावधानी पूर्वक किया जाना आवश्यक है। इस सर्वे के आधार पर ही गरीब ग्रामीण परिवारों की राष्ट्रीय/राज्य/जिला/खण्ड/गाँव स्तर पर रूपरेखा तैयार की जा सकेगी। अतः सूचना का सावधानी पूर्वक तैयार करवाना तथा विश्लेषण किया जाना आवश्यक है।
• सर्वे के आकडों के विश्लेषण, डाटाएन्ट्री तथा गरीबी प्रोफाइल तैयार करने हेतु ग्रामीण विकास मंत्रालय भारत सरकार नई दिल्ली द्वारा सॉफ्टवेयर तैयार कर राष्ट्रीय सूचना विज्ञान केन्द्र के माध्यम से उपलब्ध कराया जायेगा। राष्ट्रीय सूचना विज्ञान केन्द्र द्वारा यह सॉफ्टवेयर जिलों को यथासमय उपलब्ध करवा दिया जायेगा।
• सेन्सस सर्वे की सफलता गणक के कौशल पर निर्भर करेगी। गणक के चयन के लिए केवल परम्परागत रूप से ग्रामीण स्तर के कार्यकर्ताओं को ही नहीं लगाया जावे बल्कि अच्छे और उचित रूप से मिश्रित विभिन्न विभागों यथा- आयोजना और सांख्यिकी से भी कार्मिकों को लगाया जावे।
• प्रशिक्षण मोड्यूल बनाया जावे तथा सेन्सस में कार्यरत कार्मिकों को पर्याप्त प्रशिक्षण दिया जावे।
• गणक के साथ-साथ सरपंच/प्रधान के लिए भी प्रशिक्षण और कैम्प आयोजित किये जावें, क्योंकि उन्हें सेन्सस कार्य में बडे+ नजदीक से सम्बद्ध रहना है।
• जिला कलक्टर जिले में कार्य को कोर्डीनेट करेंगे और कार्य में संलग्न अधिकारियों व समस्त संबंधितों को आवश्यक सहायता उपलब्ध करायेगें। वे पर्यवेक्षण, मोनीटरिंग और विशेष प्रकरणों में टेस्ट चैक कर उसके सही होने की जांच करेंगे।
• जिला कलक्टर उपखण्ड अधिकारियों को भी चिन्हीकरण के पर्यवेक्षण कार्य की जिम्मेदारी सौंपेगे।
• उपखण्ड अधिकारी बीपीएल सेन्सस के सही होने के लिए व्यक्तिगत रूप से जिम्मेदार होंगे।

3. दायित्व ( Top )
• ‘‘बी.पी.एल. सेन्सस, 2002’’ के अत्यन्त महत्वपूर्ण कार्य को निर्धारित समयावधि में सम्पादित किये जाने के लिए विभिन्न स्तरों पर अधिकारियों/ कर्मचारियों को अपने दायित्व का निर्वहन पूर्ण निष्ठा एवं लगन के साथ करना है।
• राज्य स्तर पर ग्रामीण विकास विभाग ‘‘बी.पी.एल. सेन्सस, 2002’’ कार्य के लिए नोडल विभाग के रूप में कार्य करेगा, जिसके द्वारा समय-समय पर मार्गदर्शन, निर्देश एवं स्पष्टीकरण सभी संबंधितों तक पहुंचाने की व्यवस्था की जावेगी तथा ‘‘बी.पी.एल. सेन्सस, 2002’’ कार्य की समय-समय पर प्रगति समीक्षा, मोनीटरिंग एवं सूचनाओं का संकलन भी किया जावेगा।
• जिला स्तर पर जिला कलक्टर ‘‘बीपीएल सेन्सस, 2002’’ के कार्य को समय पर सम्पादित कराने एवं निम्नांकित कार्यों के लिए उत्तरदायी होंगे-
• प्रशिक्षण कार्यक्रम को सफलता से संचालित कराना।
• प्रचार-प्रसार कार्य को प्रभावी ढंग से क्रियान्वित कराना।
• ‘‘बी.पी.एल. सेन्सस, 2002’’ के लिए विभिन्न विभागों के अधिकारियों/कर्मचारियों को (गणक/पर्यवेक्षक/प्रभारी अधिकारी इत्यादि) के रूप में नियुक्त करना/कराना।
• जिला ग्रामीण विकास अभिकरण की शासकीय निकाय की विशेष बैठक बुलवाना।
• प्रत्येक ग्रामसभा के लिए पर्यवेक्षण अधिकारी की नियुक्ति करना एवं निर्धारित कार्यक्रम के अनुसार ग्राम सभाओं का आयोजन सुनिश्चित कराना।
• बीपीएल सेन्सस, 2002 की शुद्धता (करेक्टनैस) हेतु पर्यवेक्षण एवं प्रबोधन (मोनीटरिंग) सुनिश्चित करना।
• सभी परिवारों का सर्वे हो गया ह,ै इस हेतु आश्वस्त होने के लिए पंचायत मतदाता सूची की सहायता भी ली जा सकती है। इसके लिए आवश्यकतानुसार वार्ड के गु्रप बनाकर गणकों की नियुक्ति की जा सकती है।
• सूचियों के समय पर कम्प्यूटरीकरण, प्रकाशन एवं प्रेषण की व्यवस्था कराना तथा निर्धारित प्रपत्रों में सूचना ग्रामीण विकास विभाग को प्रेषित करवाना।
• ऐसे कार्य करना जो बीपीएल सेन्सस के सफल क्रियान्वयन हेतु आवश्यक है।
• अतिरिक्त कलक्टर (विकास) एवं पदेन परियोजना निदेशक, जिला ग्रामीण विकास अभिकरण के दायित्व निम्नानुसार होंगे-
• जिला ग्रामीण विकास अभिकरण की शासकीय निकाय/जिला परिषद की विशेष बैठक आयोजित कराना।
• ‘‘बी.पी.एल. सेन्सस, 2002’’ से संबंधित सभी कार्यों को जिला कलक्टर के निर्देशानुसार सम्पादित करना।
• जिला/पंचायत समिति स्तर पर दिनांक 30.6.03 तक प्रशिक्षण सम्पन्न कराना।
• ‘‘बी.पी.एल.सेन्सस, 2002’’ के लिए प्रशिक्षण, प्रचार-प्रसार की व्यवस्थाओं का पर्यवेक्षण कर निर्धारित कार्यक्रम के अनुसार सम्पादित कराना।
• सर्वे प्रपत्रों की अनुसूची अ-ब का पूर्ण रिकार्ड संधारित करना।
• इस कार्य में आने वाली स्टेशनरी इत्यादि की व्यवस्था कर संबंधितों को उपलब्ध कराना।
• ‘‘बी.पी.एल. सेन्सस, 2002’’ की सभी प्रक्रियाओं को समयबद्ध तरीके से पूर्ण करवाने के लिए जो भी अन्य कार्य किये जाने हों उन सभी को निर्देशानुसार सम्पादित करना।
• सूचियां तैयार करने की व्यवस्था एवं प्रेषण की व्यवस्था सहित निर्धारित प्रपत्रों में ग्रामीण विकास विभाग को सूचनाएं प्रेषित करना।
• उपखण्ड अधिकारी के दायित्व ‘‘बी.पी.एल. सेन्सस, 2002’’ में निम्नलिखित होंगे-
• उपखण्ड अधिकारी बी.पी.एल. सेन्सस, 2002 की शुद्धता (करेक्टनैस) के लिए व्यक्तिशः उत्तरदायी होंगे।
• जिला कलक्टर द्वारा निर्धारित कार्यक्रमानुसार प्रशिक्षण, प्रचार-प्रसार एवं अनुसूची ‘अ’ और ‘ब’ भरवाना तथा पर्यवेक्षण का कार्य कराना।
• क्षेत्र की समस्त ग्राम पंचायतों में निर्धारित कार्यक्रमानुसार ग्राम सभाओं की बैठकें आयोजित करवाना।
• ग्राम सभाओं की बैठकों का स्वयं भी मौके पर जाकर निरीक्षण करना।
• विकास अधिकारी के दायित्व निम्नानुसार होंगे-
• जिला कलक्टर के द्वारा निर्धारित तिथियों पर पंचायत-समिति स्तर पर प्रशिक्षण आयोजित कराना, प्रचार-प्रसार कार्यक्रम को सुनिश्चित कराना। अनुसूची अ और ब में अपने आवंटित क्षेत्र के लिए सूचनाएं तैयार करवाना।
• जिला ग्रामीण विकास अभिकरण से प्राप्त अनुसूची ‘अ’ और ‘ब’ के बुकलेट संबंधी रिकार्ड का संधारण कराना।
• अनुसूचियों की बुकलेट पूर्ण होने के साथ-साथ प्रोविजनल सूची तैयार करने हेतु जिला ग्रामीण विकास अभिकरण को भिजवाना।
• जिला ग्रामीण विकास अभिकरण से कम्प्यूटरीकृत प्रोविजनल सूची को प्राप्त कर गाँव के प्रमुख स्थान/ग्राम पंचायत के नोटिस बोर्ड पर चस्पा करवाना। • अनुसूचियों के कम्प्यूटरीकरण हेतु परिवहन की समुचित व्यवस्था कराना।
• जिला कलक्टर के निर्देशानुसार आवंटित क्षेत्र में चयन कार्य का पर्यवेक्षण कर, संचालन करवाना एवं अधीनस्थ प्रसार अधिकारीगण को उन्हें आवंटित क्षेत्र में चयन कार्य सम्पन्न करने हेतु पाबंद करना।
• जिला कलक्टर द्वारा मनोनीत प्रभारी अधिकारी के दायित्व निम्नानुसार होंगे-
• जिला कलक्टर द्वारा निर्धारित प्रशिक्षण कार्यक्रम में भाग लेना एवं पर्यवेक्षण हेतु आवंटित क्षेत्र में अनुसूची ‘अ’ और ‘ब’ में सूचना तैयार कराने के कार्य का पर्यवेक्षण करना।
• अनुसूचियों की बुकलेट पूर्ण होने पर परीक्षण के पश्चात्‌ प्रोविजनल सूची तैयार करने हेतु अभिकरण को भिजवाना।
• जिला ग्रामीण विकास अभिकरण से कम्प्यूटरीकृत प्रोविजनल सूची को प्राप्त कर गाँव के प्रमुख स्थान/ग्राम पंचायत के नोटिस बोर्ड पर चस्पा करवाना।
• आवंटित क्षेत्र में निर्धारित कार्यक्रमानुसार ग्राम सभा की बैठकों में भाग लेना, उनकी समस्त कार्यवाही सुनिश्चित करवाना।
• ग्राम सभा की कार्यवाही का सही अंकन करवाकर उस पर स्वयं के हस्ताक्षर एवं निर्देशित सभी उपस्थित व्यक्तियों/अधिकारियों के हस्ताक्षर करवाना।
• ग्राम सभा की समाप्ति के बाद की कार्यवाही, चयनित परिवारों की सूची एवं निर्धारित प्रपत्रों में समस्त सूचनाएं अपने सामने तैयार करवाकर विकास अधिकारी को प्रेषित करना।
• पर्यवेक्षक के दायित्व निम्नानुसार होंगे-
o पंचायत समिति/प्रभारी अधिकारी से अनुसूची ‘अ’ और ‘ब’ की बुकलेट प्राप्त करना तथा अपने क्षेत्र के गणकों को उपलब्ध करवाना तथा तत्संबंधी रिकार्ड का संधारण करना।
o सर्वे कार्य की गुणवत्ता व प्रगति का अनुश्रवण करना तथा आवश्यकतानुसार निर्देशित कर कार्य शीघ्र तथा सही ढंग से पूरा कराना।
o सर्वे कार्य में प्रयुक्त बुकलेट भर जाने पर गणकों से प्राप्त कर उनकी जांच कर पंचायत समिति को उपलब्ध करवाना तथा तत्संबंधी रिकार्ड का संधारण करना। o प्रभारी अधिकारी द्वारा प्रोविजनल सूची उपलब्ध करा देने के पश्चात्‌ सूची को गाँव के प्रमुख स्थान/ग्राम पंचायत के नोटिस बोर्ड पर चस्पा करना, ग्राम सभा की बैठक में प्रस्तुत करना, तत्संबंधी निर्धारित कार्यवाही कराना, कार्यवाही का अंकन कराना, सभी उपस्थित सदस्यों के हस्ताक्षर कराना। शुद्धीकृत अनुमोदित सूची को तीन प्रतियों में तैयार करवाकर एक प्रति ग्राम पंचायत स्तर पर, एक प्रति पंचायत समिति स्तर पर तथा एक प्रति पंचायत समिति के माध्यम से जिला स्तर पर भिजवाने की कार्यवाही करना।
o प्रशिक्षण में भाग लेना, अनुसूची ‘अ’ और ‘ब’ में सूचना तैयार कराना तथा आरोही क्रम में परिवारों की सूची बनवाना।
o ग्राम सभाओं की बैठक में भाग लेना तथा कार्यवाही विवरण पर हस्ताक्षर करना।
o गणक (Enumerator) के दायित्व निम्नानुसार होंगे-
o निर्धारित प्रशिक्षण में उपस्थित होना, प्रशिक्षण को निष्ठापूर्वक प्राप्त करना, बीपीएल सेन्सस प्रक्रिया के बारे में आमजन को जानकारी देना, अपने लिये निर्धारित क्षेत्र के सभी ग्रामीण परिवारों के घर-घर जाकर अनुसूची ‘अ’ और ‘ब’ की निर्देशानुसार पूर्ति करना, बुकलेट पूर्ण होने पर जांच हेतु पर्यवेक्षक को देना।
o प्रोविजनल सूची प्राप्त होने पर सूची को गाँव के प्रमुख स्थान/ग्राम पंचायत के नोटिस बोर्ड पर चस्पा करना, उनके अनुमोदन के समय ग्राम सभा में उपस्थित रहना, आवश्यक होने पर ग्राम सभा को जानकारी उपलब्ध कराना, कार्यवाही पूर्ण कराने में पर्यवेक्षक की सहायता करना।
o ग्राम सभा द्वारा अनुमोदित सूची को तीन प्रतियों में आरोही क्रम में तैयार करना।
• जिलों के लिए नियुक्त प्रभारी अधिकारियों के दायित्व
• प्रभारी अधिकारी ग्रामीण विकास विभाग के नोडल अधिकारी के रूप में कार्य करेंगे, जिनका मुख्य कार्य बी.पी.एल. सेन्सस, 2002 के कार्य को निर्धारित कार्यक्रम के अनुसार निष्पादित कराने को सुनिश्चित कराना होगा।
• प्रभारी अधिकारी जिला कलक्टर एवं राज्य सरकार (ग्रामीण विकास विभाग) के मध्य समन्वयक का कार्य करेंगे तथा बी.पी.एल. सेन्सस, 2002 को सम्पादित करने हेतु आवंटित जिलों में आने वाली कठिनाईयों का निराकरण तुरन्त करने अथवा कराने का कार्य करेंगे।
• प्रभारी अधिकारी स्वयं भी बी.पी.एल. सेन्सस, 2002 के लिए इन्दिरा गांधी पंचायती राज एवं ग्रामीण विकास संस्थान में मई माह में प्रस्तावित द्वितीय मास्टर टे्रनर्स प्रशिक्षण कार्यक्रम में भाग लेकर प्रशिक्षण प्राप्त करेंगे।
• प्रभारी अधिकारी आवंटित जिलों में जिला स्तर एवं पंचायत समिति स्तर पर बी.पी.एल. सेन्सस, 2002 के लिए आयोजित प्रशिक्षण कार्यक्रम में भाग लेकर प्रशिक्षण कार्य में मदद करेंगे।

4. प्रशिक्षण कार्यक्रम ( Top )
• ‘‘बी.पी.एल. सेन्सस, 2002’’ को सही प्रकार से सम्पादित करने के लिए प्रत्येक अधिकारी/कर्मचारी को इसकी प्रक्रिया विधि एवं मार्गदर्शिका के बारे में समुचित जानकारी प्रशिक्षण के माध्यम से दिया जाना अत्यन्त आवश्यक है।
• राज्य स्तर पर इन्दिरा गांधी पंचायती-राज एवं ग्रामीण विकास संस्थान में दिनांक 24-25 जनवरी, 2003 को प्रत्येक जिले से 4 अधिकारियों को आमंत्रित कर प्रशिक्षण की व्यवस्था की जा चुकी है ताकि वे ‘‘बी.पी.एल. सेन्सस, 2002’’ की कार्यविधि से जिला/पंचायत समिति स्तर पर होने वाले प्रशिक्षण में मास्टर टे्रनर्स के रूप में जिले में अधिकारियों/कर्मचारियों को समुचित प्रशिक्षण एवं मार्गदर्शन प्रदान कर सकें।
• जिला स्तर पर जिला ग्रामीण विकास अभिकरण द्वारा प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित कर ‘‘बी.पी.एल. सेन्सस, 2002’’ के प्रावधानों से अवगत कराते हुए सक्रिय सहयोग एवं योगदान के लिए अभिप्रेरित किया जावे। जन प्रतिनिधियों, सांसदों, विधायकों, जिला प्रमुख, प्रधानों इत्यादि को इस कार्य में सभी स्तर पर समुचित योगदान देने के लिए उन्हें यथोचित जानकारी दी जावे।
• जिला स्तरीय प्रशिक्षण में विभिन्न राजस्व अधिकारियों एवं अन्य विभागों के जिला स्तरीय अधिकारियों के साथ-साथ विकास अधिकारीगण, मुख्य आयोजना अधिकारी, जिला सांख्यिकीय अधिकारी, जिला ग्रामीण विकास अभिकरण के अधिकारीगण, एलबीओ, डिस्ट्रिक्ट डेवलपमेंट मैनेजर, नाबार्ड एवं विभिन्न बैंकों के संबंधित अधिकारी इत्यादि को आमंत्रित कर ‘‘बी.पी.एल. सेन्सस, 2002’’ कार्य के लिए समुचित प्रशिक्षण दिया जावे एवं इस कार्य को सफलतापूर्वक सम्पादित करने के लिए मार्गदर्शन प्रदान कर अभिप्रेरित किया जावे।
• परियोजना निदेशक, जिग्राविअ, जिला स्तरीय प्रशिक्षण कार्य के लिए डिस्ट्रिक्ट टे्रनिंग ऑफिसर के रूप में कार्य करेंगे, जिनकी सहायता राज्य स्तर पर प्रत्येक जिले से प्रशिक्षण प्राप्त करने वाले अधिकारियों द्वारा की जावेगी।
• जनप्रतिनिधियों के प्रशिक्षण की भी जिला स्तर पर व्यवस्था की जावे।
• जिला कलक्टर द्वारा मुख्य कार्यकारी अधिकारी-जिला परिषद, अतिरिक्त कलक्टर, उपखण्ड अधिकारी, एसीएम, सीपीओ, डीपीओ, पी.ओ. जिला सांख्यिकीय अधिकारी, जिला मूल्यांकन अधिकारियों तथा अन्य अधिकारी, जिनके द्वारा राज्य स्तर पर प्रशिक्षण प्राप्त किया गया है, को प्रत्येक पंचायत समिति के लिए एक टे्रनिंग आफिसर-कम-आफिसर इन्चार्ज नियुक्त किया जावे, जिनकी सहायता संबंधित पंचायत समिति के विकास अधिकारी द्वारा की जावेगी।
• पंचायत समिति के लिए नियुक्त टे्रनिंग आफिसर-कम-आफिसर इन्चार्ज उस पंचायत समिति में नियोजित पर्यवेक्षकों, गणकों व अन्य सम्बंधितों की समुचित टे्रनिंग की व्यवस्था करेंगे। इन टे्रनिंग केम्पों का आयोजन दिनांक 30.6.2003 तक आवश्यक रूप से किया जावेगा एवं यह सुनिश्चित किया जावेगा कि टे्रनिंग केम्पों में सभी नियोजित अधिकारी एवं कर्मचारी भाग लें।
• पंचायत समिति स्तर पर आयोजित किये जाने वाले टे्रनिंग कैम्पों में क्षेत्र के लिए नियुक्त पर्यवेक्षण अधिकारी एवं गणकों के अतिरिक्त पंचायत समिति क्षेत्र के तहसीलदार, नायब तहसीलदार एवं विभिन्न विभागों/बैंकों के शाखा प्रबन्धकों को भी आमंत्रित किया जावे।
• इन टे्रनिंग केम्पों के समय प्रत्येक गणक एवं पर्यवेक्षण अधिकारी को उनके लिए आवंटित क्षेत्र की पूर्ण जानकारी के साथ-साथ मार्गदर्शिका की प्रति एवं आवश्यक फार्म्स एवं सामग्री उपलब्ध कराना सुनिश्चित किया जावे। इस कार्य का पूर्ण उत्तरदायित्व विकास अधिकारी संबंधित पंचायत समिति का रहेगा।
• सर्वे की अनुसूचियां भरने के लिए दिये गये विस्तृत दिशानिर्देशों के संबंध में जिला स्तर के इन टे्रनिंग कैम्पस में भली प्रकार से अवगत कराया जावे। साथ ही ‘‘बी.पी.एल. सेन्सस, 2002’’ की विभिन्न विधियों सहित समयबद्ध कार्य सम्पादित करने के लिए सभी सम्बन्धितों को अभिप्रेरित किया जावे।

5. प्रचार-प्रसार कार्य योजना ( Top )
• ‘‘बी.पी.एल. सेन्सस, 2002’’ के माध्यम से ग्रामीण क्षेत्र में रहने वाले गरीबी रेखा से नीचे जीवनयापन कर रहे परिवारों का सही अभिज्ञान एवं चयन करने के लिए यह आवश्यक है कि इसकी कार्यविधि एवं मार्गदर्शिका की समुचित एवं विस्तृत जानकारी जन-मानस तक पहुंचाई जावे।
• मुख्यमंत्री महोदय की ओर से जारी संदेश के पम्फलेट्स जिला स्तर पर तैयार करवाकर मुद्रित सामग्री के द्वारा ‘‘बीपीएल सेन्सस, 2002’’ की जानकारी पहुंचाने के लिए दिनांक 30.6.2003 तक विशेष रूप से कार्यवाही की जावे।
• जिला स्तर पर प्रचार-प्रसार के लिए समाचार-पत्रों इत्यादि मीडिया को भी उपयोग में लिया जावे।
• प्रचार-प्रसार के लोक साधन जैसे- डोंडी पिटवाना, माईक से घोषणा कराना, गाँव में नाटक, खेल तमाशे, मेले का आयोजन इत्यादि विधियों से भी जिले में समुचित प्रचार-प्रसार किये जाने की व्यवस्था की जावे। प्रचार-प्रसार की उपरोक्त वर्णित कार्य के लिए जिन जिलों में भारत सरकार द्वारा आई.ई.सी. कार्यक्रम के लिए धनराशि उपलब्ध करायी हुई है, उसमें से राशि व्यय की जा सकती है। इसी प्रकार जिले में चल रहे अन्य अभियानों से भी डोवटेलिंग की जा सकती है।

6. सर्वे तथा ग्राम सभाओं का आयोजन ( Top )
• ‘‘बी.पी.एल. सेन्सस, 2002’’ हेतु दिनांक 15 जुलाई 2003 से 31 अगस्त, 2003 तक की अवधि में बी.पी.एल. सेन्सस की अनुसूची ‘अ’ और ‘ब’ में गणकों द्वारा सूचनाएं एकत्रित की जावेंगी। प्रत्येक ग्रामीण परिवार के बारे में अनुसूची ‘अ’ और ‘ब’ में सूचना एकत्रित किया जाना अनिवार्य है। पर्यवेक्षण अधिकारियों का यह दायित्व होगा कि वे सभी सम्भव प्रयास कर यह सुनिश्चित कर लें कि उनके क्षेत्र में निवास करने वाले प्रत्येक ग्रामीण परिवार का अनुसूची ‘अ’ और ‘ब’ प्रपत्र में सर्वे कर लिया गया है।
• निर्धारित अवधि में उपरोक्त अनुसूची ‘ब’ के प्रपत्रों से प्रस्तावित गरीबी रेखा से नीचे जीवनयापन करने वाले परिवारों की प्रोविजनल सूची तैयार की जावेगी। परिशिष्ठ ‘अ’ और ‘ब’ की सूचनाएं गणक द्वारा भरने तथा पर्यवेक्षक द्वारा हस्ताक्षरित होने के बाद साप्ताहिक रूप से जिला ग्रामीण विकास अभिकरण को भिजवायी जावे। जिला स्तर पर प्रत्येक पंचायत समिति से इस प्रकार प्राप्त होने वाली सूचियों की प्रगति हेतु पंचायत समितिवार दिवस नियत कर प्राप्त की जा सकती है। इससे कार्य में विलम्ब नहीं होगा।
• प्रोविजनल सूची सात प्रतियों में जिला ग्रामीण विकास अभिकरण स्तर पर बनायी जाकर एक-एक प्रति अभिकरण तथा ग्राम पंचायत रिकार्ड में रखी जावेगी। एक-एक सूची गाँव के प्रमुख स्थान/ग्राम पंचायत के नोटिस बोर्ड पर प्रदर्शित की जावेगी तथा शुद्ध तीन प्रतियों में से एक-एक अभिकरण, पंचायत समिति तथा ग्राम पंचायत स्तर पर रहेगी।
• प्रत्येक ग्राम पंचायत स्तर पर ग्रामसभा का आयोजन किया जावेगा, जिसके विस्तृत कार्यक्रम जिला कलक्टर द्वारा जारी किये जावेंगे। प्रत्येक ग्राम सभा के लिए एक प्रभारी अधिकारी नियुक्त किया जावेगा जो जिला स्तरीय अधिकारीगणों में से नियुक्त किया जावेगा।
• ग्राम सभा की बैठक की तिथि के 7 दिन पूर्व से प्रतिदिन ढोल बजाकर या डौंडी पिटवाकर ग्राम पंचायत के सभी गाँवों में ग्राम सभा के आयोजन की सूचना ग्राम पंचायत के ग्रुप सचिव द्वारा कराये जाने की व्यवस्था की जावेगी। साथ ही विभिन्न प्रचार-प्रसार माध्यमों के द्वारा ग्राम सभाओं के आयोजन की जानकारी करायी जाने के लिए भी आवश्यक कार्यवाही की जावेगी। पंचायत समिति स्तर पर विकास अधिकारी इसकी मोनीटरिंग करेंगे।
• ग्राम सभा की उक्त बैठक में प्रोविजनल सूची को प्रस्तुत किया जावेगा एवं आक्षेप रखने का अवसर दिया जावेगा। प्राप्त आपत्तियों को अंकित किया जावेगा। एडीशन/आल्टे्रशन/कैन्सिलेशन की स्थिति में सरपंच द्वारा सील सहित लाल स्याही से प्रपत्र पर अंकन करना होगा तथा इस प्रकार के परिवर्तन का ग्राम सभा के कार्यवाही रजिस्टर में भी अंकन करना होगा तथा कार्यवाही रजिस्टर पर सम्बन्धित पटवारी, हैडमास्टर, गणक, सुपरवाईजर एवं प्रभारी अधिकारी के हस्ताक्षर आवश्यक होंगे। प्रभारी अधिकारी का यह भी दायित्व होगा कि प्राप्त आपत्तियों का समुचित रूप से निराकरण ग्राम सभा की बैठक में कराया जावे एवं उसके उपरांत प्रोविजनल सूची में आवश्यक परिवर्तन/परिवर्धन कर अन्तिम रूप दिया जावे।
• ग्राम सभा की बैठक का कार्यवाही विवरण उसी दिन ग्राम पंचायत के कार्यवाही बैठक रजिस्टर में अंकित किया जावेगा, जिसमें संशोधित प्रोविजनल सूची के सभी परिवारों का पूर्ण विवरण अंकित किया जावेगा।
• ग्राम सभा की बैठक के कार्यवाही विवरण पर उपस्थित सदस्यों के अतिरिक्त संबंधित सरपंच, प्रभारी अधिकारी, पर्यवेक्षक, पटवारी, हैडमास्टर और गणक के हस्ताक्षर होंगे।
• ग्राम सभा की बैठक की सूचना ग्रुप सचिव द्वारा संबंधित क्षेत्र के सभी विधायकगण, सांसद, प्रमुख, प्रधान एवं अन्य सभी पंचायती-राज के जनप्रतिनिधियों को दी जावेगी तथा यह सुनिश्चित करने का प्रयास किया जावेगा कि ग्राम सभा की बैठक में ग्राम पंचायत के प्रत्येक गाँव के अधिक से अधिक नागरिक उपस्थित होकर सक्रिय भागीदारी निभायें।
• उपरोक्त कार्यवाही के पश्चात्‌ अन्तिम चयन सूची तैयार की जावेगी, जिसकी एक प्रति जिग्राविअ में, एक प्रति पंचायत समिति एवं एक प्रति ग्राम पंचायत के रेकार्ड में रखी जावेगी। इन तीनों प्रतियों का मिलान सुनिश्चित किया जावे। इसकी शुद्धता के लिए अतिरिक्त कलक्टर (विकास) एवं पदेन परियोजना निदेशक, जिला ग्रामीण विकास अभिकरण जिम्मेदार होंगे। एक प्रति ग्राम/ग्राम-पंचायत के नोटिस बोर्ड पर प्रदर्शित की जायेगी।
o कट ऑफ स्कोर निर्धारण के बाद कम्प्यूटर से निकाली गयी अन्तिम चयन सूचियों की प्रतियों का प्रेषण निम्नानुसार जिग्राविअ द्वारा सुनिश्चित किया जावेगा-
• एक प्रति में से संबंधित ग्राम पंचायत क्षेत्र के अंश को निकालकर सभी ग्राम पंचायतों को भिजवाया जावेगा।
• तीन प्रतियों में से पंचायत समिति क्षेत्र के अंश को निकाल कर सभी विकास अधिकारियों को उनके क्षेत्र के चयनितों की सूचियां तीन प्रतियों में भिजवायी जावेगी।
• एक सूची में से संबंधित बैंक क्षेत्र के अंश की प्रति छांटकर व्यावसायिक/ग्रामीण बैंक के शाखा प्रबन्धक को प्रेषित की जावेगी।
• एक प्रति में से संबंधित केन्द्रीय सहकारी बैंक शाखाओं के अंश को निकाल कर केन्द्रीय सहकारी बैंक के शाखा प्रबन्धकों को प्रेषित किया जावेगा।
• चयन सूची की दस प्रतियां जिग्राविअ कार्यालय के उपयोग हेतु रखी जावेगी जो संबंधित योजना इन्चार्ज को उपलब्ध करा दी जावेगी।
• चयन सूचियों की दो प्रति जिला रसद अधिकारी को, दो प्रति महिला विकास अभिकरण/महिला एवं बाल विकास विभाग के जिला स्तरीय अधिकारी को भी प्रेषित की जावेगी तथा दो प्रतियां जिला उद्योग केन्द्र को भेजी जावेगी।
• चयन सूची की एक प्रति जिला अग्रणी बैंक अधिकारी को प्रेषित की जावेगी। आवश्यकतानुसार अन्य संबंधित अधिकारियों/कार्यालयों को उनसे संबंधित अंश की प्रतियां ही कम्प्यूटर से तैयार करवाकर उपलब्ध करायी जावेगी जिसमें यह ध्यान में रखा जावेगा कि अनावश्यक प्रतियां तैयार कर व्यर्थ व्यय नहीं ह

7. अनुसूचियों को भरने के लिए दिशा निर्देश ( Top )
आंकड़ों का कम्प्यूटरीकरण व प्रपत्रों के प्रारूप सर्वे कार्य पूर्ण होने पर प्रोवीजनल सूची कम्प्यूटर से आरोही क्रम में तैयार करवाई जाये तथा कम्प्यूटर से तैयार ऐसी सूचियों को ग्राम सभा में अनुमोदन के लिये प्रस्तुत किया जावे। ग्राम पंचायत द्वारा सुझाये गये आवश्यक सुधार समाहित करते हुये इस सूची को कम्प्यूटर केन्द्र पर लाया जावे तथा ग्राम सभा से अनुमोदित सूची के अनुरूप कम्प्यूटर पर सूची (डाटा) को अद्यतन कर लिया जावे। इस प्रकार तैयार अनुमोदित सूची ग्राम पंचायत तथा पंचायत समिति को भिजवाते हुये एक सॉफ्ट कॉपी सीडी के साथ राज्य स्तर पर संकलन हेतु भिजवायी जावे। राज्य स्तर से कट ऑफ पोईन्ट की सूचना प्राप्त होने पर बीपीएल परिवारों की पात्रता निर्धारित की जाकर सूचियों को अन्तिम रूप देते हुए सभी संबंधित विभागों/निकायों को उपलब्ध करा दी जावे। जिस स्तर पर चैकिंग के समय गलती पायी जावे उसी स्तर पर गणक द्वारा भरे गये फार्म पर लाल स्याही से हस्ताक्षर कर करेक्शन किया जावे। वस्तुतः अनुसूची ‘अ’ में प्रविष्टियाँ नम्बर व देवनागरी टेक्स्ट के रूप में तथा अनुसूची ‘ब’ में प्रविष्टियाँ केवल सही के निशान (ü) के रूप में अंकित होगी। तथा बी.पी.एल. सेन्सस के लिये तय की निर्धारित अवधि में यह अनुसूचियाँ तैयार होनी हैं अतः कम्प्यूटर से प्रोवीजनल सूचियों को तैयार कर अनुसूचियों को OCR/ICR तकनीक से स्कैनिंग करा कर ही इतनी अल्प अवधि में गुणवत्ता व शुद्धता सुनिष्चित की जा सकती है। यह पद्वति विभिन्न परीक्षाओं में शीघ्र परिणाम घोषित करने के लिये प्रयोग में लायी जा रही हैं। इस पद्धति से अनुसूचियों से प्राप्त आंकड़ो से सीधे ही प्रोवीजनल सूची बनाई जावेगी इसमें अल्पावधि में ही परिणाम प्राप्त किया जाना संभव होगा। जिन परिवारों को राज्य स्तर पर बी.पी.एल. सेन्सस के तहत परिवारों के रूप में चयनित किया जायेगा केवल उनसे सम्बन्धित विस्तृत जानकारी यथा परिवार जनों के नाम इत्यादि एन्ट्री द्वारा पूर्ण कराने पर परिवार कार्ड बनाने की प्रक्रिया में सहायक होगी। संषोधित सूचियों से सम्बन्धित आँकड़े अद्यतन करने में सर्वे में शामिल किये गये नवीन परिवारों की जानकारी एकत्र करने हेतु स्कैनिंग करने की प्रक्रिया पुनः अपनाते हुए पूर्ण सूची तैयार कर मय डाटा राज्य स्तर पर भिजवाई जावेगी। अनुसूचियों में कोड आधारित प्रविष्टिया अनुसूची ‘अ’ में अधिकांश प्रविष्टियाँ अपने कोड के साथ अथवा केवल कोड के रूप में ही अंकित की जायेगी। अनुसूची में सर्वे किये जा रहे ग्राम से सम्बन्धित कोड निम्नानुसार दिये जायेंगे। जिला दो अंको का कोड पंचायत समिति चार अंको का कोड ग्राम पंचायत चार अंको का कोड ग्राम आठ अंको का कोड इन प्रविष्टियों के लिये कोड के साथ सम्बन्धित ईकाई का नाम भी अंकित किया जायेगा। गणकों के नियुक्ति आदेष के साथ उन्हें सर्वे किये जाने वाले भौगोलिक क्षेत्र के सभी कोड भी दिये जायें। जिला स्तर विकास अधिकारी तथा पर्यवेक्षक स्तर पर भी इस बात की जाँच की जानी अपेक्षित है कि कोड सही हो तथा भरे गये हों। इसके अतिरिक्त परिवार के सदस्यों के लिंग/षिक्षा आदि के लिये निम्न कोड उपयोग में जाये जायें।
लिंग 1-पुरूष 2-स्त्री परिवार के मुखिया स सम्बन्ध 01-स्वयं 05-पुत्र 09-ससुर 13-दादा 02-पत्नि 06-पुत्री 10-सास 14-दादी 03-पिता 07-भाई 11-पौत्र 15-साला 04-माता 08-बहन 12-पौत्री 16-साली 17-अन्य
अनुसूची ‘अ’ के खण्ड-अ (परिवार के संबंध में जानकारी-शैक्षणिक स्तर) की प्रविष्टियों में प्रथम प्रविष्टि परिवार के मुखिया की ही की जावे।
शैक्षणिक स्तर 1-अनपढ 4-दसवीं पास तक 2-5वीं पास तक 5-12वीं पास तक 3-8वीं पास तक 6-स्नातक/स्नातकोत्तर
ग्रामीण दस्तकार का कोड
01-लुहार 02-सुथार 03-कुम्हार 04-राजमिस्त्री 05-बुनकर 06-टेलरिंग 07-कशीदाकारी 08-मनिहार 09-सुनार 10-पेन्टर 11-चर्मकार 12-नाई 13-मीनाकारी 14-बंधेज व रंगाई 15-ठठेरा 16-मूर्तिकार 17-पिंजारा 18-अन्य
निष्क्रमण हेतु प्रदेशों के कोड 01-गुजरात 02-मध्यप्रदेश 03-उत्तर प्रदेश 04-पंजाब 05-हरियाणा 06-दिल्ली 07-महाराष्ट्र 08-अन्य
निष्क्रमण हेतु उद्देश्यों के कोड 01-आकस्मिक रोजगार 02-वैतनिक रोजगार 03-अकाल 04-अन्य
सर्वे अनुसूचियों का मुद्रण तथा विवरण सर्वे अनुसूचियों के सुरक्षित रख-रखाव तथा आदान-प्रदान को सुनिष्चित करने के लिये इनको 50 व 25 बुकलेट के रूप में वितरित किया जायेगा तथा इन पर यूनीक क्रम संख्या भी अंकित होगी। सभी स्तरों पर प्राप्ति व वितरण पंजिका संधारित की जायेगी। अनुसूचियों की भरी हुई बुकलेट प्राप्त करते समय प्रत्येक स्तर पर निर्धारित संख्या में अनूसूचियों की जाँच कर संबंधित द्वारा हस्ताक्षर किये जावेंगे। गणको से अपेक्षा की जाती है कि अनुसूची भरते समय पूर्ण सावधानी बरतें। अनुसूचियों का मुद्रण ए-4 साईज के पृष्ठ पर दोनों तरफ इस तरह किया जा रहा है कि अग्रिम भाग पर अनुसूची ‘अ’ की प्रविष्टियाँ होगी तथा पृष्ठ भाग पर अनुसूची ‘ब’ की प्रविष्टियाँ होगी। अनुसूची ‘अ’ में परिवार के सदस्यों की सूचना अंकित की जानी है । सदस्यों के लिए अधिकतम 9 स्थान उपलब्ध हैं। सदस्यों की संख्या इससे अधिक होने पर अतिरिक्त शीट का उपयोग किया जा सकता है। इस अतिरिक्त शीट पर मूल अनुसूची की क्रम संख्या के साथ परिचय से संबंधित सभी कोड्स को भी अंकित किया जाना आवश्यक होगा। अभियान की प्रगति की सूचनाः- बी.पी.एल. सेन्सस, 2002 का कार्य तभी पूर्ण होगा जब सभी जिलों से आंकड़े कम्प्यूटर पर प्राप्त हो जाये तथा उनके विष्लेषण के पष्चात्‌ राज्य में जिलेवार बी.पी.एल. परिवारों की संख्या कट ऑफ पॉइन्ट के अनुसार निर्धारित कर ऐसे परिवारों की सूची तैयार हो जाये। इसके लिये आवश्यक है कि यह कार्य सभी जिलों में एक साथ पूर्ण हों। सर्वे की अवधि में राज्य स्तर पर पाक्षिक समीक्षा बैठक आयोजित की जायेंगी। प्रगति की सूचना राज्य स्तर पर ई-मेल अथवा सीधे वेबसाईट द्वारा प्रेषित की जा सकती हैं। इसके लिये राष्ट्रीय सूचना-विज्ञान केन्द्र आवश्यक सॉफ्टवेयर, ग्रामीण विकास विभाग, राजस्थान सरकार की आवश्यकता के अनुरूप विकसित करेगा। आंकड़ा प्रविष्टि के लिये सॉफ्टवेयरः- राष्ट्रीय सूचना विज्ञान केन्द्र द्वारा आंकड़ा प्रविष्टि हेतु मॉडल सॉफ्टवेयर का विकास केन्द्रीकृत रूप से किया गया है। राज्य की स्थानीय आवश्यकताओं के अनुरूप इसमें सुधार कर जिलों को उपलब्ध कराया जायेगा।
अनुसूचियों को भरने के लिए विभिन्न आइटमों की परिभाषाएं :-
• पक्का मकान- अगर मकान की दीवार एवं छत दोनों का निर्माण पक्की सामग्री से किया हुआ है तो मकान पक्के मकान की श्रेणी में आयेगा।
• कच्चा मकान- अगर मकान की दीवार एवं छत दोनों का निर्माण कच्ची सामग्री से किया हुआ है तो वह मकान कच्चे मकान की श्रेणी में आयेगा।
• आंशिक रूप से पक्का मकान- कोई भी मकान जो न तो पक्का है और न ही कच्चा है वह आंशिक रूप से पक्के मकान की श्रेणी में आयेगा। पक्की दीवार की सामग्री पकी हुई ईटों, लोहे की चद्दरों या अन्य धातु की चद्दरों, पत्थरों, सीमेन्ट, कन्क्रीट से बनी हो तथा छत टाईल, स्लेट, सिंगले, नालीदार लोहे, जिन्क या अन्य धातु की चद्दरों, एसबेस्टस, सीमेंट की चद्दरों ईंट, चूना और पत्थर, आरबीसी/आरसीसी या कंक्रीट की बनी होनी चाहिए।
• निरक्षर- एक व्यक्ति जो पढ सकता है, परन्तु किसी भी भाषा में लिख नहीं सकता है, निरक्षर की परिभाषा में आयेगा।
• अनौपचारिक शिक्षा- ऐसी शिक्षा जो किसी नियमित शिक्षण संस्थान में दाखिला लिये बगैर प्राप्त की जाती है, अनौपचारिक शिक्षा की श्रेणी में आयेगी।
• गैर संस्थागत स्त्रोत- बैंक, सहकारी समितियों एवं अन्य मान्यता प्राप्त वित्तीय संस्थाओं के अतिरिक्त जैसे- मनीलेण्डर, दोस्त एवं रिश्तेदार आदि।
• परिभाषाएं-
1. लघु कृषकः वे किसान जिनके पास एक हैक्टर से अधिक परन्तु दो हैक्टर से कम कृषि भूमि हों।
2. सीमान्त कृषकः वे किसान जिनके पास एक हैक्टर से कम कृषि भूमि हो।
3. भूमिहीनः वे कृषक जिनके पास आधा हैक्टर से कम कृषि भूमि या कोई भूमि नहीं हो।
4. खेतीहर मजदूरः वे कृषक मजदूर जो कि अपनी आय का 50 प्रतिशत से अधिक कृषि मजदूरी से प्राप्त करते हों।
5. अकृषि मजदूरः जो कि अपनी आय का 50 प्रतिशत से अधिक आय अन्य मजदूरी से प्राप्त करते हों।
लघु कृषक के लिए भूमि की सीमा (हैक्टर में) जिले का नाम सिंचित असिंचित जैसलमेर, बाड़मेर 1.50 हैक्टर 10.00 हैक्टर बीकानेर, नागौर, जालौर, पाली, चूरू एवं जोधपुर 1.50 हैक्टर 7.00 हैक्टर झुंझुनूं, अजमेर, डूंगरपुर, उदयपुर, बांसवाड़ा 1.50 हैक्टर 3.00 हैक्टर अन्य जिलों के लिए 1.00 हैक्टर 2.00 हैक्टर

8. निर्देश ( Top )
विशेष उल्लेख

उपलब्ध अनुसूची अ तथा ब को गणक द्वारा ग्रामीण क्षेत्र के प्रत्येक घर पर जाकर प्रत्येक परिवार के संबंध में सूचनाएं प्राप्त कर भरा जावेगा। एक परिवार की परिभाषा का अभिप्रायः व्यक्तियों के ऐसे समूह से है, जो कि सामान्यतयाः एक साथ रहते हों तथा जिनका खाना एक रसोई में तैयार होता है। अनुसूची को भरने के लिए केवल नीले या काले बालपेन का प्रयोग करें। पेंसिल या स्याही वाले पेन का उपयोग बिल्कुल नहीं करें। प्रत्येक प्रविष्टि हेतु निर्धारित बॉक्स की बाउण्ड्री को बिना छुए स्वच्छ अक्षरों/अंकों में लिखें। बॉक्स के बाहर कुछ नहीं लिखें। कहीं भी ओवर राइटिंग नहीं करें। यथा संभव कटिंग भी नहीं करें। किसी भी प्रकार की कटिंग होने पर लघु हस्ताक्षर अवश्य करें। अनुसूची ‘अ’ को निम्न बातों को ध्यान में रखते हुए गणकों द्वारा भरा जावे-
• जिले का नाम व कोडः जिले का नाम व कोड बडे अक्षरों में लिखा जावे।
• कुल अंक गणक द्वारा अनुसूची ‘ब’ को पूर्ण रूपेण भरने पर उसमें अंकित 13 बिन्दुओं के विरूद्व दिये जाने वाले अंकों (0,1,2,3,4) का योग करने पर जो अंकों की गणना आयेगी, वह कुल अंक (ज्वजंस ैबवतम) कहलाएगा।
• अनुसूची भरते समय जहां जहां कोड अंकित होने हैं वहां कोड इस प्रकार लिखा जावे कि कोड के लिए निर्धारित सभी बॉक्स भर जावें। अतः कोड भरते समय इकाई का अंक सबसे दांये बॉक्स में लिखा जावे तथा दहाई का अंक उससे बांई ओर। यदि इस प्रकार लिखते हुए कोई बॉक्स रिक्त रह जावे तो उसमें शून्य का अंकन करें। यथा- 13 के लिए यदि 3 (तीन) स्थान हों तो इसे लिखा जावेगा।
• पंचायत समिति का नाम व कोड- पंचायत समिति का नाम व कोड बडे अक्षरों में लिखा जावे। • ग्राम पंचायत का नाम व कोड- ग्राम पंचायत का नाम व कोड बडे अक्षरों में लिखा जावे।
• गाँव का नाम व कोड- गाँव का नाम व कोड बडे अक्षरों में निर्धारित बॉक्स में ही लिखा जावे।
• मकान नम्बर एवं नाम (अगर कोई है तो)- यदि ग्राम पंचायत द्वारा गाँव में मकानों पर नम्बर अंकित किये हुए हैं तो मकान नम्बर अंकित किया जावे।
• परिवार के मुखिया एवं उसके पिता/पति का नाम- परिवार के मुखिया का नाम साफ-साफ बडे अक्षरों में लिखा जावे। इसके लिए निर्धारित स्थान में ही प्रविष्टि की जावे। यही जानकारी अनुसूची ‘ब’ में निर्धारित स्थान पर गाँव के नाम के साथ भरना आवश्यक है।
(क) परिवार के संबंध में जानकारी -
• परिवार के सभी सदस्यों के नाम उनकी उम्र (बड़े से छोटे) के क्रम में अंकित की जावे। प्रथम प्रविष्टि परिवार के मुखिया की ही की जावे।
• उम्र पूर्ण वर्षों में अंकित की जानी है।
• पुरूष के लिए 1 एवं महिला के लिए 2 अंकित किया जावे।
• शैक्षणिक स्तर हेतु (कालम 6) में निर्धारित कोड नम्बर ही अंकित करना है। (1-6)
• परिवार के मुखिया से सम्बन्ध के लिए निर्धारित कोड नम्बर ही अंकित करना है। (01-17)
• ग्रामीण दस्तकार के लिए निर्धारित कोड नम्बर ही अंकित करना है। (01-18)
(ख) परिवार की औसत मासिक आय-
• गणक द्वारा परिवार की औसत मासिक आय रूपये में आंकी जानी है। मासिक आय, परिवार के मुखिया अथवा अन्य जिम्मेदार सदस्य द्वारा दी गयी जानकारी के आधार पर आंकी जावेगी।
(ग) उपलब्ध जोत योग्य भूमि का विवरण-
• परिवार के पास जोत योग्य भूमि स्वयं के स्वामित्व की अथवा जोत हेतु किराये पर ली गयी हो सकती है। यह भी सम्भावना है कि परिवार के पास उपलब्ध जोत योग्य भूमि में से कुछ हिस्सा स्वयं के स्वामित्व का तथा कुछ किराये पर लिया गया हो। यह भी सम्भव है कि परिवार के पास किसी प्रकार की जोत योग्य भूमि उपलब्ध ही नहीं हो। अतः गणक द्वारा उक्त सभी सम्भावनाओं को ध्यान में रखते हुए सबसे उपयुक्त किसी एक कालम में ही सही का निशान लगाया जाना है।
(घ) इन्दिरा आवास योजना में भवन निर्माण हेतु भूमि-
• यदि परिवार के पास इन्दिरा आवास योजना में भवन निर्माण करवाने हेतु स्वयं की भूमि हो तो हाँ पर सही (ü) का निशान अन्यथा नहीं पर सही (ü) का निशान लगावें।
(च) पीने के पानी की सुविधा-
• उपलब्ध स्रोत से दूरी के अनुसार निर्धारित बॉक्स में सही का निशान लगाया जाना है। राज्य के सभी क्षेत्र समतल क्षेत्र में माने जावेंगे।
(छ) परिवारों का सामाजिक समूह- • गणक द्वारा इस बात को व्यक्तिशः सुनिश्चित कर लिया जावे कि कौन सा परिवार सामाजिक दृष्टि से किस समूह में आता है उदाहरणतः अनुसूचित जनजाति, अनुसूचित जाति, अन्य पिछडी जाति अथवा अन्य जो भी उपुयक्त हो उसे ही चिन्हित करे।
(ज) परिवार के राज्य से निष्क्रमण की सूचना-
• यदि परिवार किसी उद्देश्य से राज्य से निष्क्रमण करता हो तो सामान्यतः जिस प्रदेश में और जिस उद्देश्य से निष्क्रमण किया गया है/जाता है, कोड में उल्लेख करें।
(झ) 12वीं पास रोजगार कार्यालय में पंजीकृत युवक/युवती की सूचना-
• यदि परिवार की वार्षिक आय 12000/- रुपये से कम हो तो परिवार के उच्च माध्यमिक स्तर के योग्यताधारी रोजगार कार्यालय में पंजीकृत सदस्यों की सूचना सारणी के उपयुक्त स्थानों पर भरी जायेगी।
4. गरीब की पहचान एवं उसको उपश्रेणी में बांटने से संबंधित अनुसूची ‘ब’ को भरने हेतु निर्देश-
विषय उल्लेख-
गरीब की पहचान एवं उसको उपश्रेणी में बांटने हेतु 13 सूचक (इण्डीकेटर) 13 अलग-अलग पंक्तियों में दिये गये हैं। प्रत्येक सूचक के लिए पांच या उससे कम परिस्थितियों का विवरण उनके सम्मुख दिये गये कालम में दिया गया है। प्रत्येक सूचक के लिए अंकों का निर्धारण क्रमशः 0,1,2,3 एवं 4 के रूप में किया जाना हैं। उक्त अंकों के माध्यम से प्रत्येक सूचक की परिस्थितियों को अभिज्ञात किया जावेगा। एक परिवार के लिए 13 सूचकों के लिए कुल अंक 0 से 52 हो सकते हैं। अतः गणक द्वारा परिवार के बारे में प्रत्येक सूचक का सही आंकलन किया जाकर सबसे उपयुक्त केवल एक कालम में ही सही का निशान लगाया जावे। इसके लिये अनुसूची ‘ब’ में सबसे उपर परिवार के मुखिया, पिता/पति का नाम, गाँव का नाम आवश्यक रूप से अंकित किया जावे। बाउण्ड्री के अन्दर बॉक्स में उपयुक्त स्थान पर सही (ü) के निशान के अतिरिक्त कुछ न लिखा जाये।
• उपलब्ध जोत भूमि का क्षेत्र-
• यहां पर परिवार के पास जोत योग्य भूमि का तात्पर्य उपलब्ध भूमि के क्षेत्रफल से है। असिंचित भूमि को सिंचित भूमि की तुलना में दुगुना माना गया है।
• गणक द्वारा संबंधित परिवार के मुखिया द्वारा दी गयी सूचनाओं एवं अन्य स्रोतों से प्राप्त सूचना को क्रास चेक कर वास्तविकता एवं तथ्यों के आधार पर अपने विवेक का उपयोग करते हुए अनुसूचियों को भरा जावे।
• मकान का प्रकार
• यह इस बात पर निर्भर करेगा कि मकान को बनाने में किस प्रकार की सामग्री का उपयोग किया गया है। इसकी परिभाषा पूर्व में दे दी गयी है। यदि उपलब्ध मकान शहरी मकान जैसा तथा उसी तरह की सुविधाओं युक्त लगता है तो गणक को अन्तिम कालम में सही का निशान लगाना चाहिए।
• जिन मकानों की छत एवं दीवारें दोनों ही पट्टियों की बनायी जाती हैं, ऐसे मकान को पक्के मकान की श्रेणी में रखा जावे। लकड़ी से बने मकान को भी पक्के मकान की श्रेणी में ही रखा जावे।
• सामान्य प्रकार से पहनने योग्य कपडों की उपलब्धता
• (संख्या प्रति व्यक्ति)-
• इस तरह की जानकारी गणक द्वारा परिवार के मुखिया अथवा ऐसे सदस्य जिसे सही जानकारी हो, से ली जाकर सही सूचना प्राप्त करना आवश्यक है। अन्दर पहनने वाले कपड़ों को वस्त्रों की गणना में सम्मिलित नहीं किया जावे।
• सामान्य रूप से पहनने के कपड़ों (अधोवस्त्रों को छोड़कर) की औसतन उपलब्धता परिवार के कुल सदस्यों के पास उपलब्घ कुछ कपड़ों का औसत निकाल कर लिखा जावेगा अर्थात परिवार के पास कुल उपलब्ध कपड़ों की संख्या में परिवार के सदस्यों की संख्या का भाग दिया जावेगा।
• खाद्य सुरक्षा
• इस तरह की जानकारी बहुत ही सावधानी के साथ परिवार के मुखिया अथवा परिवार के किसी जिम्मेदार व्यक्ति से लेनी चाहिए। यहां पर खाने का मतलब ऐसे खाने से है, जिसमें न्यूनतम पौष्टिक स्तर उपलब्ध होवे।
• एक समय का भोजन का तात्पर्य दिन में एक बार पेट भर कर भोजन करने से है।
• स्वच्छता-
• इस संबंध में गणक को परिवार के मुखिया अथवा किसी जिम्मेदार व्यक्ति से सही जानकारी प्राप्त करना चाहिए। जहां तक सम्भव हो इस तथ्य की जानकारी का गणक द्वारा यथासम्भव भौतिक सत्यापन किया जाकर ही सही स्थिति का उल्लेख किया जावे।
• उपभोक्ता सामग्री के मालिकाना हक के बारे में-
• गणक द्वारा प्रथम कॉलम में उपलब्ध सभी आइटम का संबंधित परिवार के घर में भौतिक सत्यापन करने के उपरांत ही निशान लगाना चाहिए। इसी प्रकार अन्तिम कालम में अंकित वस्तुओं में से भी जो वस्तु संबंधित परिवार के पास उपलब्ध है, उसकी सही जानकारी प्राप्त की जाकर ही ü का निशान लगाना चाहिए। इस सूचक से संबंधित सूचना से बीपीएल सूची को अन्तिम रूप देने में मदद मिलेगी।
• परिवार के सबसे बडे+ पढे+-लिखे सदस्य का शैक्षणिक स्तर-
• इस संबंध में गणक द्वारा परिवार के संबंधित सदस्य अथवा परिवार के मुखिया से सही जानकारी प्राप्त कर ही निशान लगाना चाहिए। परिवार में जिस सदस्य द्वारा सबसे अधिक शिक्षा प्राप्त की हुई है, उस सदस्य का विवरण ही लिया जाना है।
• परिवार में श्रमिकों की स्थिति-
• गणक द्वारा इसकी सही जानकारी परिवार के मुखिया अथवा परिवार के किसी जिम्मेदार सदस्य से सही जानकारी प्राप्त करने के उपरांत ही निशान लगाना चाहिए।
• बन्धक श्रमिक की श्रेणी में उसी को सूचीबद्ध किया जावे, जिसको बंधक श्रमिक कानून के अन्तर्गत सक्षम अधिकारी द्वारा बंधक श्रमिक घोषित कर प्रमाण-पत्र दिया गया है।
• जीविकोपार्जन के साधन-
• गणक द्वारा इसकी परिवार के मुखिया अथवा परिवार के किसी जिम्मेदार सदस्य से सही जानकारी प्राप्त करने के उपरांत ही निशान लगाना चाहिए।
• यदि कोई परिवार दो कार्य जैसे- कृषि एवं दस्तकारी करता है तो उसको जिस स्त्रोत से अधिक आय प्राप्त होती हो, उसी श्रेणी में सम्मिलित किया जावे।
• कामचलाऊ कृषि का तात्पर्य सीमांत एवं लघु कृषकों हेतु निर्धारित सीमा तक की कृषि भूमि से है। भीख मांगकर काम चलाने वाले परिवार आकस्मिक श्रमिक की श्रेणी में आवेंगे।
• बच्चों की स्थिति (5-14 वर्ष) (कोई बच्चा)
• इसके लिए परिवार के ऐसे बच्चे जिनकी आयु 5-14 वर्ष है, को अंकों के निर्धारण हेतु लिया जाना है, यदि अलग-अलग बच्चे अलग-अलग स्थिति में हैं तो परिवार के जिस बच्चे के न्यूनतम अंक प्राप्त हों उसी के अनुसार कॉलम में ü का निशान लगाया जाना है।
• ऋण का प्रकार-
• इस संबंध में गणक द्वारा सूचना की जानकारी परिवार के मुखिया अथवा परिवार के किसी जिम्मेदार सदस्य से लेनी चाहिए। अगर किसी वित्तीय संस्था से ऋण लिया हुआ हो, तो उसका प्रमाणीकरण संबंधित संस्था से किया जाना चाहिए।
• घर से निष्क्रमण का कारण-
• गणक द्वारा परिवार से निष्क्रमण की जानकारी परिवार के मुखिया अथवा परिवार के किसी जिम्मेदार सदस्य से लेनी चाहिए, अगर परिवार का कोई भी सदस्य निष्क्रमण पर नहीं गया है तो ‘‘निष्क्रमण रहित’’ से संबंधित कॉलम में निशान लगाना चाहिए। शादी के कारण अगर वह बाहर गया है तो उसे ‘‘अन्य उददेश्य’’ से संबंधित कॉलम में ü का निशान लगाना चाहिए। यदि घर से एक से अधिक सदस्य निष्क्रमण कर गये हैं एवं निष्क्रमण के कारण अलग अलग हैं तो न्यूनतम अंक प्राप्त करने वाले सदस्य के अनुसार ही कालम में ü का निशान लगाया जावे।
• सहायता हेतु वरीयता
• भारत सरकार के ग्रामीण विकास मंत्रालय तथा राज्य सरकार द्वारा बीपीएल परिवारों के लिए विभिन्न योजनाएं संचालित हैं। ग्रामीण परिवारों के सामने विभिन्न सहायताओं के लिए प्राथमिकताएं अलग-अलग हो सकती हैं। अतः गणक द्वारा परिवार की परिस्थितियों के संबंध में परिवार के मुखिया से गहन विचार-विमर्श के उपरांत ही परिवार की सर्वाधिक प्राथमिकता को मध्यनजर रखते हुए उपयुक्त कालम में निशान लगाना चाहिए। उक्त के अलावा निम्नांकित बिन्दुओं का भी ध्यान रखा जावे-
• उपलब्ध जोत भूमि का क्षेत्र-
• यहां पर परिवार के पास जोत योग्य भूमि का तात्पर्य उपलब्ध भूमि के क्षेत्रफल से है। असिंचित भूमि को सिंचित भूमि की तुलना में दुगुना माना गया है।
• गणक द्वारा संबंधित परिवार के मुखिया द्वारा दी गयी सूचनाओं एवं अन्य स्रोतों से प्राप्त सूचना को क्रास चेक कर वास्तविकता एवं तथ्यों के आधार पर अपने विवेक का उपयोग करते हुए अनुसूचियों को भरा जावे।
• मकान का प्रकार
• यह इस बात पर निर्भर करेगा कि मकान को बनाने में किस प्रकार की सामग्री का उपयोग किया गया है। इसकी परिभाषा पूर्व में दे दी गयी है। यदि उपलब्ध मकान शहरी मकान जैसा तथा उसी तरह की सुविधाओं युक्त लगता है तो गणक को अन्तिम कालम में सही का निशान लगाना चाहिए।
• जिन मकानों की छत एवं दीवारें दोनों ही पट्टियों की बनायी जाती हैं, ऐसे मकान को पक्के मकान की श्रेणी में रखा जावे। लकड़ी से बने मकान को भी पक्के मकान की श्रेणी में ही रखा जावे।
• सामान्य प्रकार से पहनने योग्य कपडों की उपलब्धता
• (संख्या प्रति व्यक्ति)-
• इस तरह की जानकारी गणक द्वारा परिवार के मुखिया अथवा ऐसे सदस्य जिसे सही जानकारी हो, से ली जाकर सही सूचना प्राप्त करना आवश्यक है। अन्दर पहनने वाले कपड़ों को वस्त्रों की गणना में सम्मिलित नहीं किया जावे।
• सामान्य रूप से पहनने के कपड़ों (अधोवस्त्रों को छोड़कर) की औसतन उपलब्धता परिवार के कुल सदस्यों के पास उपलब्घ कुछ कपड़ों का औसत निकाल कर लिखा जावेगा अर्थात परिवार के पास कुल उपलब्ध कपड़ों की संख्या में परिवार के सदस्यों की संख्या का भाग दिया जावेगा।
• खाद्य सुरक्षा
• इस तरह की जानकारी बहुत ही सावधानी के साथ परिवार के मुखिया अथवा परिवार के किसी जिम्मेदार व्यक्ति से लेनी चाहिए। यहां पर खाने का मतलब ऐसे खाने से है, जिसमें न्यूनतम पौष्टिक स्तर उपलब्ध होवे।
• एक समय का भोजन का तात्पर्य दिन में एक बार पेट भर कर भोजन करने से है।
• स्वच्छता-
• इस संबंध में गणक को परिवार के मुखिया अथवा किसी जिम्मेदार व्यक्ति से सही जानकारी प्राप्त करना चाहिए। जहां तक सम्भव हो इस तथ्य की जानकारी का गणक द्वारा यथासम्भव भौतिक सत्यापन किया जाकर ही सही स्थिति का उल्लेख किया जावे।
• उपभोक्ता सामग्री के मालिकाना हक के बारे में-
• गणक द्वारा प्रथम कॉलम में उपलब्ध सभी आइटम का संबंधित परिवार के घर में भौतिक सत्यापन करने के उपरांत ही निशान लगाना चाहिए। इसी प्रकार अन्तिम कालम में अंकित वस्तुओं में से भी जो वस्तु संबंधित परिवार के पास उपलब्ध है, उसकी सही जानकारी प्राप्त की जाकर ही ü का निशान लगाना चाहिए। इस सूचक से संबंधित सूचना से बीपीएल सूची को अन्तिम रूप देने में मदद मिलेगी।
• परिवार के सबसे बडे+ पढे+-लिखे सदस्य का शैक्षणिक स्तर-
• इस संबंध में गणक द्वारा परिवार के संबंधित सदस्य अथवा परिवार के मुखिया से सही जानकारी प्राप्त कर ही निशान लगाना चाहिए। परिवार में जिस सदस्य द्वारा सबसे अधिक शिक्षा प्राप्त की हुई है, उस सदस्य का विवरण ही लिया जाना है।
• परिवार में श्रमिकों की स्थिति-
• गणक द्वारा इसकी सही जानकारी परिवार के मुखिया अथवा परिवार के किसी जिम्मेदार सदस्य से सही जानकारी प्राप्त करने के उपरांत ही निशान लगाना चाहिए।
• बन्धक श्रमिक की श्रेणी में उसी को सूचीबद्ध किया जावे, जिसको बंधक श्रमिक कानून के अन्तर्गत सक्षम अधिकारी द्वारा बंधक श्रमिक घोषित कर प्रमाण-पत्र दिया गया है।
• जीविकोपार्जन के साधन-
• गणक द्वारा इसकी परिवार के मुखिया अथवा परिवार के किसी जिम्मेदार सदस्य से सही जानकारी प्राप्त करने के उपरांत ही निशान लगाना चाहिए।
• यदि कोई परिवार दो कार्य जैसे- कृषि एवं दस्तकारी करता है तो उसको जिस स्त्रोत से अधिक आय प्राप्त होती हो, उसी श्रेणी में सम्मिलित किया जावे।
• कामचलाऊ कृषि का तात्पर्य सीमांत एवं लघु कृषकों हेतु निर्धारित सीमा तक की कृषि भूमि से है। भीख मांगकर काम चलाने वाले परिवार आकस्मिक श्रमिक की श्रेणी में आवेंगे।
• बच्चों की स्थिति (5-14 वर्ष) (कोई बच्चा)
• इसके लिए परिवार के ऐसे बच्चे जिनकी आयु 5-14 वर्ष है, को अंकों के निर्धारण हेतु लिया जाना है, यदि अलग-अलग बच्चे अलग-अलग स्थिति में हैं तो परिवार के जिस बच्चे के न्यूनतम अंक प्राप्त हों उसी के अनुसार कॉलम में ü का निशान लगाया जाना है।
• ऋण का प्रकार-
• इस संबंध में गणक द्वारा सूचना की जानकारी परिवार के मुखिया अथवा परिवार के किसी जिम्मेदार सदस्य से लेनी चाहिए। अगर किसी वित्तीय संस्था से ऋण लिया हुआ हो, तो उसका प्रमाणीकरण संबंधित संस्था से किया जाना चाहिए।
• घर से निष्क्रमण का कारण-
• गणक द्वारा परिवार से निष्क्रमण की जानकारी परिवार के मुखिया अथवा परिवार के किसी जिम्मेदार सदस्य से लेनी चाहिए, अगर परिवार का कोई भी सदस्य निष्क्रमण पर नहीं गया है तो ‘‘निष्क्रमण रहित’’ से संबंधित कॉलम में निशान लगाना चाहिए। शादी के कारण अगर वह बाहर गया है तो उसे ‘‘अन्य उददेश्य’’ से संबंधित कॉलम में ü का निशान लगाना चाहिए। यदि घर से एक से अधिक सदस्य निष्क्रमण कर गये हैं एवं निष्क्रमण के कारण अलग अलग हैं तो न्यूनतम अंक प्राप्त करने वाले सदस्य के अनुसार ही कालम में ü का निशान लगाया जावे।
• सहायता हेतु वरीयता
• भारत सरकार के ग्रामीण विकास मंत्रालय तथा राज्य सरकार द्वारा बीपीएल परिवारों के लिए विभिन्न योजनाएं संचालित हैं। ग्रामीण परिवारों के सामने विभिन्न सहायताओं के लिए प्राथमिकताएं अलग-अलग हो सकती हैं। अतः गणक द्वारा परिवार की परिस्थितियों के संबंध में परिवार के मुखिया से गहन विचार-विमर्श के उपरांत ही परिवार की सर्वाधिक प्राथमिकता को मध्यनजर रखते हुए उपयुक्त कालम में निशान लगाना चाहिए। उक्त के अलावा निम्नांकित बिन्दुओं का भी ध्यान रखा जावे- o गणक को उसके कार्य क्षेत्र एवं उसके मूल निवास स्थान को छोड़कर अन्य कार्य क्षेत्र में लगाया जाना चाहिए। o बीपीएल सूची का ग्रामसभा में अनुमोदन करने के बाद ृजिला परिषद/अभिकरण की बैठकों में केवल अवलोकन कराना है, अनुमोदन नहीं। o गणक के साथ पर्यवेक्षक के भी हस्ताक्षर होंगे तथा पर्यवेक्षक 5 प्रतिशत अनुसूचियों को भी टेस्ट चेक करेगा तथा ‘‘टेस्ट चैक किया गया’’ लिखकर हस्ताक्षर करेगा।
• सही (ü) का निशान कैसे लगावें- गणक द्वारा सही का निशान संबंधित कालम में नीले/काले बालपेन से ही स्पष्ट लगाना चाहिए। सर्वे में पैन्सिल या स्याही वाले पेन का उपयोग बिल्कुल भी नहीं किया जाना है, अनुसूची में निशान हेतु पृथक से स्पष्ट स्थान अंकित किया हुआ है, उसी पर निशान लगाना चाहिए अन्यथा संबंधित कालम में यथा उपयुक्त स्थान पर स्पष्ट निशान अंकित करना चाहिए-
• निम्नांकित उदाहरण को देखें- 
अनुसूचित जन जाति अनुसूचित जाति अन्य पिछड़ी जाति अन्य
ü      

प्रपत्र 1 ‘‘बी.पी.एल. सेन्सस, 2002’’ से ग्रामीण परिवारों द्वारा प्राप्त अंकों के आधार पर आरोही क्रम में सूची- (प्रोवीजनल सूची /अनुमोदित सूची) 
ग्रामः............... ग्राम पंचायत:.................... पंचायत समिति:.................. जिला:................. क्र.सं. फार्म क्रमांक नाम परिवार मुखिया मय पिता/पति सामाजिक ग्रुप-एस.सी./एस.टी./ओबीसी./ अन्य परिवार की कुल सदस्य संख्या कुल प्राप्तांक वरीयता क्रमांक
1 2 3 4 5 6 7

(अन्तिम सूची)
ग्रामः............... ग्राम पंचायत:.................... पंचायत समिति:.................. जिला:................. क्र.सं. फार्म क्रमांक नाम परिवार मुखिया मय पिता/पति सामाजिक ग्रुप-एस.सी./एस.टी./ओबीसी./ अन्य परिवार की कुल सदस्य संख्या इन्दिरा आवास के लिए भूमि की उपलब्धता ग्रामीण दस्ताकार रोजगार कार्यालय में गत तीन वर्ष से पंजीकृत 12000 रु. तक वार्षिक आय वाले परिवारों के बेरोजगारों की संख्या कुल प्राप्तांक वरीयता क्रमांक
1 2 3 4 5 6 7 8 9 10

• निम्न प्रपत्र में राज्य सरकार को संबंधित जिले से सूचना भिजवायी जावे- 
जिला ग्रामीण परिवारों कुल ग्रामीण जनसंख्या बीपीएल परिवारों कुल बीपीएल जनसंख्या बीपीएल हाउसहोल्ड्स
          एससी एसटी ओबीसी भूमिहीन
Home ( Top )
Site designed and developed by National Informatics Center, Rajasthan, Jaipur